औरंगज़ेब की मृत्यू के बाद, मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हुआ, जिसकी नींव उनकी तंगदिली और धार्मिक नीतियों में थी। औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद, उनके तीन बेटों के बीच सिंहासन के लिए संघर्ष हुआ, जिसमें सबसे बड़े बेटे बहादुर शाह की विजय हुई। बहादुर शाह ने अपने शासन में औरंगज़ेब की नीतियों को बदलते हुए धार्मिक सहिष्णुता की दिशा में कदम बढ़ाए। उनके शासनकाल में हिंदू मंदिरों का विनाश नहीं हुआ और उन्होंने राजपूत, मराठा, और जाटों के साथ शांति की नीति अपनाई। हालांकि, बहादुर शाह को मराठा सरदारों से संघर्ष का सामना करना पड़ा, जिसके कारण सिंहासन का विवाद खड़ा हुआ। इसके अलावा, सिख गुरु गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के पश्चात, सिखों ने भी विद्रोह शुरू किया, जिसने साम्राज्य की स्थिरता को और प्रभावित किया। बहादुर शाह के बाद के शासक मुगलों के लिए और अधिक कठिनाई लेकर आए, क्योंकि साम्राज्य में आंतरिक संघर्ष और द्वंद्व ने एक गंभीर स्थिति पैदा कर दी। धीरे-धीरे, मुगलों की राजनीति में न केवल राजकुमारों, बल्कि महत्वाकांक्षी नबाबों ने भी सीधा हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया, जिससे साम्राज्य की शक्ति में और गिरावट आई।